Sunday, 11 March 2018

व्यसन.......

        व्यसन.......
शराब को तुम नहीं पीते,
शराब तुमको पीती है दोस्त।
न सुन्दरता रहने देती है,
न सौम्यता रहने देती है।
आचरण का विनाश करती है,
शराब को
तुम नहीं पीते,
शराब तुमको पीती है दोस्त।
ए पथिक तुम लक्ष्य भूल जाते हो,
तुम्हारे कदम डगमगाने लगते हैं।
मंजिलें दूर हो जाती है तुम से,
किसी का सहारा ढूंढने लगते हो। शराब को तुम नहीं पीते,
शराब तुमको पीती है दोस्त।
रिश्ते नाते सब बेमानी होने लगते हैं,
सपने बन्द अलमारियों में छुपने लगते हैं।
जीवन जीने नहीं ढोने लगते हो।
आलस्य व गरीबी दोस्त बनने लगते है।
शराब को तुम नहीं पीते,
शराब तुमको पीती है दोस्त।
है कटू सत्य पर फिर भी ए पथिक,
हैं विभित्स दृश्य पर फिर भी ए पथिक,
तुम भ्रमित दुनिया में रहते हो,
हर सुख दुःख में तुम केवल उसे,
अपना मांझी मानते हो,
शराब को तुम नहीं पीते,
शराब तुमको पीती है दोस्त।
तुम केवल अपने को दूषित नहीं,
सम्पूर्ण घर को दूषित करते हो,
घर ही नहीं, समाज और देश को भी,
देश ने एक कर्म यौद्धा खोया,
घर ने एक आज्ञाकारी बेटा खोया।
आत्मा ने शुद्धता खोयी,
शरीर ने आत्मबल खोया।
शराब को तुम नहीं पीते,
शराब तुमको पीती है दोस्त।
MERE NAZAR SE....
By -ASHA SHARMA
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