पुत्र
यह वो एहसास है,
जो दिल में धड़कन की तरह है।
बचपन में किलकारियों से,
घर को गुंजायमान करना उसका,
मां के आंचल में बार-बार छिपना उसका,
हर अपने खिलौने को शिद्दत से चाहना उसका,
यह वो एहसास है।
आंगन में मटकाना उसका
रूठना - मनाना उसको,
वात्सल्य का सुखद एहसास।
कभी कृष्ण तो कभी गोपी ,
वह नटखट मचलना उसका,
हर जीवन की खुशियां लाकर दूं उसको
चांद और सितारे सजाकर दूं उसको,
जो दिल में धड़कन की तरह है।
बचपन में किलकारियों से,
घर को गुंजायमान करना उसका,
मां के आंचल में बार-बार छिपना उसका,
हर अपने खिलौने को शिद्दत से चाहना उसका,
यह वो एहसास है।
आंगन में मटकाना उसका
रूठना - मनाना उसको,
वात्सल्य का सुखद एहसास।
कभी कृष्ण तो कभी गोपी ,
वह नटखट मचलना उसका,
हर जीवन की खुशियां लाकर दूं उसको
चांद और सितारे सजाकर दूं उसको,
यह वो एहसास है।
मेरा दोस्त मेरा हमसफ़र है वो,मेरे जीवन का प्रति- स्त्रोत है वो,
आशाएं, अभिलाषाएं है वो,
जीवन का एक मजबूत स्तंभ है वो,
मेरी खुशी व ग़म का राजदार है वो
यह वो एहसास है।
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