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शाम इतनी सुहानी लगती है।
शाम इतनी लुभावनी लगती है।
शाम होते ही परिंदे भी घरों को लौटते हैं,
सभी सुबह की थकन से थककर,
जब अपने घरों को लौटते हैं,
सभी घर में चहकने लगते हैं।
शाम इतनी सुहानी लगती है।
शाम इतनी लुभावनी लगती है।
तन व मन दोनों से आनंदित होते हैं।
सभी अपने-अपने रिश्तों को पाकर
इसी शाम में हर्षित होते हैं।
मां अपने बच्चों का इंतजार करती है।
सभी अपनों की ललक में रहते हैं,
शाम इतनी सुहानी लगती है।
शाम इतनी लुभावनी लगती है।
सारे सुख और दुख अपने होते हैं,
सारे अपने जो संग होते हैं,
न दौड़-भाग, न हड़बड़ी किसी काम की
न चिंता ,न डर किसी बांस का,
न समय का डर, न उलझनों में है मन
शाम इतनी सुहानी लगती है।
शाम इतनी लुभावनी लगती है।
Merry Nazar Se....
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