Sunday, 11 March 2018

                           पुत्र

यह वो एहसास है,
जो दिल में धड़कन की तरह है।
बचपन में किलकारियों से,
घर को गुंजायमान करना उसका,
मां के आंचल में बार-बार छिपना उसका,
हर अपने खिलौने को शिद्दत से चाहना उसका,
यह वो एहसास है।
आंगन में मटकाना उसका
रूठना - मनाना उसको,
वात्सल्य का सुखद एहसास।
कभी कृष्ण तो कभी गोपी ,
वह नटखट मचलना उसका,
हर जीवन की खुशियां लाकर दूं उसको
चांद और सितारे सजाकर दूं उसको,
यह वो एहसास है।
मेरा दोस्त मेरा हमसफ़र है वो,
मेरे जीवन का प्रति- स्त्रोत है वो,
आशाएं, अभिलाषाएं है वो,
जीवन का एक मजबूत स्तंभ है वो,
मेरी खुशी व ग़म का राजदार है वो
यह वो एहसास है।

MERE NAZAR SE...
BY- ASHA SHARMA

No comments:

Post a Comment