Sunday, 8 September 2019

डर लगता है।



डर लगता है।
न जाने क्यों डर लगता है?
मीठी बोली से।
न जाने क्यों डर लगता है?
दिखावे से।
न जाने क्यों डर लगता है?
ज्यादा अपने पन से।
न जाने क्यों डर लगता है?
दिखावटी पन से।
न जाने क्यों डर लगता है?
स्वार्थीपन से।
आज के युग में कौन रावण,
और कौन विभीषण,
कौन अपना है कौन पराया,
न जाने क्यों डर लगता है?
चापलूसी भी डराती है,
बंधन भी डराते हैं,
आज का दौर भी
कैसा दौर है,                                           


रास्ते धूमिल हैं,
पगडंडियां भी सूनी-सूनी हैं,                                            

न जाने क्यों डर लगता है???
Meri Nazar Se....                                              

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