स्मृतियां
जीवन के वो पल जो
जीये थे कभी,
मां के आंचल की छांव,
पिता का सानिध्य,
भाईयों का रुठना मनाना,
गलियों में दोस्तों संग खेलना-कूदना,
जीवन के वो पल जो
जिये थे कभी।
पूरा मुहल्ले घर हुआ करते थे,
सारे त्यौहार अपने हुआ करते थे,
सुख दुख भी सांझे थे अपने,
रिश्तों की सीमाएं न थी
दुःख भी आसानी से कट
जाया करते थे,
बड़ों की लज्जा थी आंखों में,
जीवन के वो पल जो
जीये थे कभी।
Merry Nazar se...
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