मन की हालत तो ऐसी है ,
एक पल इधर , एक पल उधर,
कभी उदास है मन तो,
कभी छोटी सी खुशियों से,
हो जाता है प्रसन्न मन ,
कभी बड़ी से बड़ी खुशी भी ,
लगने लगती है छोटी।
मन की हालत तो ऐसी है ,
एक पल इधर , एक पल उधर ।।
मन क्यों सदा अव्यवस्थित रहता है
सब पाने के बाद भी, अधूरा सा लगता है
इच्छाएं है तो बहुत इस मन में पर,
कौन सी इच्छाएं कब करें पूरी,
यह कभी समझ नहीं पाता है ये मन,
मन की हालत तो ऐसी है ,
एक पल इधर , एक पल उधर,
कभी ये उलझा रहता है यादों में
तो कभी आने वाले सपनों के
बुनने लगता है ताने -बाने
कभी समझ नहीं पाता रिश्तों को
तो कभी अनजाने रिश्तों को ढूंढता है
मन की हालत तो ऐसी है ,
एक पल इधर , एक पल उधर,
Meri Nazar se........
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