Sunday, 10 November 2019

महत्वकाक्षiएं




एक लड़की थी रमा वह बहुत ही महत्वकाक्षI  रखती थी और सदा सोच रही थी कि मैं बहुत ऊंचाइयों को छू हर चीज में मैं आगे रहूं अच्छे काम करूं अपने मां-बाप को जरा भी परेशानी ना होने दो ऐसा जीवन को जीना चाहती थी रमन का परिवार भी एक अच्छा परिवार था काफी हरा-भरा बिजनेस था उनका लेकिन पिता अक्सर घर से बाहर रहा करते थे बाहर आकर बिजनेस किया करते थे दूसरे शहरों में जाकर रमा अपने भाई के साथ अपनी मां के साथ रहा करती थी पढ़ाई करना उसे अच्छा लगता था मां पढ़ी-लिखी नहीं थी लेकिन वह अपने बच्चों को बहुत ही सलीके से पाल भी रही थी रमा की मां भी पति सुलझी हुई औरत अपने बच्चों को सदा अच्छी आते देने का प्रयास करती थी संस्कारी बनाने की कोशिश में लगी रहती थी इस तरह से उनका जीवन बहुत ही अच्छे से चल रहा था पैसे की कोई कमी नहीं थी पिता का अपना व्यवसाय था जो अच्छी फल फूल रहा था कमी थी तो केवल पिता के प्यार की क्योंकि वह अक्सर घर से बाहर ही रहा करते थे बच्चों के लिए रमा और उसका भाई दोनों के लिए मां मां का और पिता दोनों का रोल अदा करती थी पिता के आने पर वह बहुत आनंदित होते थे परंतु वह आनंद कुछ ही समय कथा धीरे-धीरे रमा और उसका भाई बड़े होने लगे जरुरते बढ़ने लगी और अच्छा पैसे वाला परिवार ऐसी स्थिति में आ गया कि उसके पिता का बिजनेस पूरी तरह से ठप हो गया और वह वापस घर में आ गए जब वह घर आए उनकी स्थिति बहुत ही खराब थी पैसे की कमी थी रमा तब तक समझदार हो चुकी थी वह चाहती थी किस तरह से अपने मां-बाप का सहारा बने लेकिन घर में आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई मां पढ़ी-लिखी नहीं थी पिता का व्यवसाय खत्म होने की वजह से अक्सर बीमार रहने लगे ऐसी नौबत आ गई कि ट्वेल्थ की फीस जमा करना भी उनके लिए मुश्किल हो गया फिर उसने कुछ क्षण शुरू की एक परिवार जो उनको अच्छे से जानता था उन्होंने उसकी स्कूल की फीस अदा करें और इस तरह से वह पढ़ाई में अपने एरिया में सबसे अच्छे नंबरों से पास हुई और अच्छे कॉलेज में दाखिला भी मिल गया लेकिन तब तक उसके पिता भी कुछ काम करने लगे धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति ठीक तो हो रही थी पर पिता की बीमारी इतनी बढ़ गई कि अचानक एक दिन उनका देहांत हो गया ब्रह्मा ने अपनी पढ़ाई भी करती थी और साथ में वह मां और बेटी दोनों मिलकर कुछ ना कुछ काम कर लेते थे जिसकी वजह से चार पैसे उनके पास आने लगे रामा जैसे ही अच्छे कॉलेज से पास हुई और उसने एक दोस्त की मदद से एक नौकरी ले ली और इस तरह से उसने अपने दोनों भाइयों को अच्छे से पढ़ाया लिखाया उनको कभी कमी महसूस नहीं होने दी कि उनके पिता नहीं है मां की आंख में एक बूंद पानी नहीं आने दिया कि उनका पति नहीं है वह बेटी होने के बावजूद उसने घर के सारे अपने फर्ज अदा किएरमा अपने परिवार के लिए एक मजबूत स्तंभ थी उसने कभी जीवन में हार नहीं मानी ना कभी मां को इस बात का एहसास होने दिया कि वह अकेली है वह बिजी नहीं उसने बेटा होने का फर्ज अदा किया बेटियां कभी किसी से कम नहीं होती है जरूरत पड़ने पर वह अपनी मां के बाप के लिए कुछ अपने परिवार के लिए कुछ भी करने को तैयार हो मैं परिवार के लिए हिम्मत बनती हैं वही रमानी किया और अपने दोनों भाइयों की शादी करवाई फिर उसकी शादी भी एक अच्छे घर में हो गए उसके बावजूद भी वह अपनी मां का पूरा ध्यान रखती थी और अपने भाइयों को अपने बेटों के समान पाल कर उसने बड़ा किया।
Meri Nazar se....

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