Wednesday, 13 November 2019

मुकाम


Image result for metro pics

मैंने यह न सोचा था कि कभी
 धरती के ऊपर हवा में भी एक मुकाम होगा
 हवा में कभी हम भी उड़ेंगे
 ऊंचाइयों पर हम भी कभी चलेंगे
 सपने सच होते हैं यह हमने ख्वाबों में सुना था
 लेकिन यह अंजाम तो आज हम देख रहे हैं
 भागती दौड़ती सी जिंदगी में
  हवा में लहराते हुए रेलगाड़ियां चलती हैं

मैंने यह न सोचा था कि कभी
 धरती के ऊपर हवा में भी एक मुकाम होगा

  जिन्हें कहते हैं हम मेट्रो
  नए-नए एक गोलाकार में
 चलती हुई सड़कें हैं जो
  बड़े-बड़े स्तंभों पर खड़े हैं वो
  उन स्तंभों के ऊपर जब
  गाड़ियां चलती हैं तो मानो
 पृथ्वी की परिक्रमा हम भी  कर रहे हैं

मैंने यह न सोचा था कि कभी
 धरती के ऊपर हवा में भी एक मुकाम होगा

 ऐसा लगता है मानो दिशाएं भी चल रही है
 हम भी चल रहे हैं ,वाहन भी दौड़ रहे हैं
 आसमान पर वायुयान भी उड़ रहे हैं
 यह सब बदलाव न जाने कैसे
  और कब हुआ इसके बाद भी
  क्या हम उन खुशियों को ढूंढ पा रहे हैं
   जो हम केवल धरती पर चलने पर पाते थे
   पैदल चल कर भी जो सुकून हमें
   मिलता था वह गाड़ियों में नहीं मिलता
   रेलगाड़ी पर बैठकर जो आनंद हम उठाते थे   
   वह आनंद भागती दौड़ती जिंदगी में
   मेट्रो में भी नहीं  है मिलता  ।
   ना जाने जिंदगी की रफ्तार कहां जाकर थमेगी।

मैंने यह न सोचा था कि कभी
 धरती के ऊपर हवा में भी एक मुकाम होगा।
  Meri Nazar se.
  ..

No comments:

Post a Comment