पलकें जो सब कुछ कहती हैं।
बिन भाषा के सब कुछ सहती है।
कभी खामोश तो कभी दर्द,
सब कुछ चुपके से सहती हैं यह पलकें,
कभी हर्ष और कभी जोश प्रदर्शित करती हैं यह पलकें
मन की अभिलाषाओं को व्यक्त करती हैं यह पलकें लज्जा की सबसे बड़ा संभल होती है यह पलकें,
पलकें हैं जो सब कुछ कहती हैं।
बिन भाषा के सब कुछ सहती हैं ।।
स्वीकार को भी तुम करती हो व्यक्त,
नाकार को भी तुम करती हो सशक्त ,
कभी धैर्य और साहस को खोती हो तुम,
और अश्रु से पलकों को भिगोती हो तुम,
कभी मस्ती और कभी शरारत होती हो तुम
पलकें हैं जो सब कुछ कहती हैं ।
बिन भाषा के सब कुछ सहती हैं।।
मुख सौंदर्य का दर्पण हो तुम ,
चेहरे का अद्भुत नूर हो तुम,
तुम से ही आंखें बोलती हैं,
मानव की मन: स्थिति तोलती हो तुम ,
इतनी शक्तिशाली एवं वैभवशाली हो तुम ,
पलकें हैं जो सब कुछ कहती हैं
बिन भाषा के सब कुछ सहती हैं
Meri Nazar Se... ............ASHA SHARMA
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