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बसंत ऋतु
बसंत ऋतु तुम्हारा आगमन
मन को हर्षित है करता ।
फूलों की बगिया है खिलती
खुशबू चहूं और है बिखरती
चंपा, गुलाब, मोगरा ,रातरानी,
स्वयं अपना शृंगार है करती
वसंत ऋतु तुम्हारा आगमन
मन को हर्षित है करता।
पौधों की बेलें है बलखाती
प्रकृति का आंचल लहराता
मन की कलियां है खिली -खिली
आनंदमय हुए वन उपवन
वसंत ऋतु तुम्हारा आगमन
मन को हर्षित है करता ।
हरा-भरा है भूमंडल सारा
सौंदर्य छटा है बिखरी हुई
धन-धान्य से है भरा हुआ
धरती मां का कोना -कोना
बसंत ऋतु तुम्हारा आगमन
मन को हर्षित है करता ।
सूरज की दीप्तिमयी गरिमा
सुनहरी किरणें है छिटकाती
चांद की अनुपम चांदनी
मन को और भी है बहकाती
वसंत ऋतु तुम्हारा आगमन
मन को हर्षित करता है ।
वसंत ऋतु आगमन तेरा
अनुकंपा है इस धरा पर ,
करते हैं सब आंखें बिछाए
तुम्हारा इंतज़ार हर पल
वसंत ऋतु तुम्हारा आगमन
मन को हर्षित करता है ।
Meri Nazar Se.....
Asha Sharma..
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