Sunday, 5 April 2020

संबल

संबल                                       
एकता में बल है यह कहानी मैं बचपन में अक्सर सुना करती थी । आज जब समाज अनेक विकट परिस्थितियों से गुजर रहा है और समाज में चारों तरफ एक दहशत का माहौल है । हर कोई परेशान है अपनी परेशानी से न मेंहीं दूसरों की परेशानी से भी वह परेशान है , प्रत्येक मनुष्य एक दूसरे के दुख से दुखी अवश्य होता है चाहे वह मानव जाति हो या कोई अन्य प्राणी भी हो, हम सबको के ह्रदय में एक मानवता भरा दिल अवश्य होता है। उस दिल में कोई भी जाति या धर्म को नहीं आने देना चाहिए ।हर एक की पीड़ा अपनी पीड़ा होती है । इस भावना को हमें समझना होगा और आगे बढ़ना  पड़ेगा। यदि हम भविष्य की ओर देखते हैं, तो हमें हमेशा एक अच्छे पल की उम्मीदें करनी चाहिए ।और यदि हम बीते हुए कल में देखते हैं तो उसमें जो  दूसरों से गलतियां होती हैं उन्हें क्षमा करके या उन्हें समाप्त करके हमें आगे बढ़ना है। अगर हम पिछली गलतियों को दोहराते चले जाएंगे तो समाज अनेक विकट परिस्थितियों में चलता चला जाएगा ।अब समय आ गया है कि हम सब को एक हो जाना है  और हम सबको इस विकट परिस्थिति को संभालने का प्रयास करना है अपने -अपने स्तर पर , हमें यह नहीं समझना चाहिए कि हम एक क्या कर सकते हैं?? अगर हर एक अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा के साथ निभाएगा तो वह अपने साथ -साथ पूरे समाज के लिए एक आदर्श होगा । इस आई हुई परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं यदि हमें बोला जाता है कि अकेला रहना है तो वैसे भी तो मनुष्य अकेला आया है अकेला ही अपने कर्मों को करेगा और अकेला इस दुनिया से जाएगा। इसमें क्या परेशानी है क्यों हम उसको गलत दिशा में सोचते जो भी परिस्थिति हमारे जीवन में आती है यदि हम उसे  से एक सीख के रूप में लेंगे तो वह आने वाले हमारे भविष्य को और सुनहरा बना देगा। जो गलतियां हमने इस समय  कि हैं वह गलतियां हमें दोबारा दौरान ही नहीं चाहिए क्योंकि कठिनता और विकट परिस्थितियां ही मनुष्य को और भी ज्ञानी बना देती हैं । एक जीवन में सीख देकर जाती हैं और हम सब को मानवता की सीख लेनी चाहिए और कभी भी किसी को दोषारोपण ना करते हुए हमें अपने कर्तव्य को ईमानदारी से निभाना है । चाहे हम किसी भी धर्म ,किसी भी जाति ,अमीर या गरीब जो भी हैं हम सब को एक दूसरे की मदद करनी है और क्षमता के अनुसार इस समाज में आगे आना है और सबकी मदद करिए और अपने कर्तव्य को निभाना है और अब हमारा अगला कर्तव्य भी है कि हम रविवार के दिन रात को 9:00 बजे सुंदर से दिए जलाएं और कोई भी मोबाइल की लाइट का उपयोग ना करें तो ज्यादा बेहतर होगा क्योंकि दिए जो होते हैं वह हमारी जीवन का एक संबल है।
Meri Nazar Se...

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