Saturday, 10 December 2022

 मेरी नयी कविता 

आईना.....

कुछ तस्वीरें होती हैं I

सत्य व असत्य को दर्शाती हुई, 

झलकियां प्रदर्शित करती हुई

सामने से अत्यंत लुभावनी, 

आकर्षित व लोलुपता,

पर क्या है, उनमें दिव्यता, 

गुणवत्ता व उत्कृष्टता!

कुछ तस्वीरें होती हैं .........

मात्र सुंदर रंगों के आवरण ,

ढक नहीं सकते उनकी अयोग्यता.

ग़लत को सही और सही को ग़लत ,

कहने वाला भी दर्शाता है,

अपनी कमजोरियां व अवसरवादिता!

कुछ तस्वीरें होती हैं........

मानव हो मानव ही बनो,

मत करो चाटूकारिता,

चित्रों में असली रंग भरो

नक़ली रंग  नहीं पाते शाश्वतता! 

शब्दों के गूगल करने से,

नहीं उमड़ती भावनात्मकता!

हे चित्रकार,भूलो ना अपनी उत्तमता!!

कुछ तस्वीरें होती है....

ASHA SHARMA

WRITER

HYDERABAD

No comments:

Post a Comment