ख़्वाहिशों के कारण ....बिखरती जि़ंदगी
आज हम बहुत कुछ पाने की चाह में हम दौड़ रहें हैं और बहुत कुछ पीछे छुटता जा रहा है। क्या कुछ खो रहा है, हमने न देखा, न समझा और न ही जानने की कोशिश की़--लेकिन कहीं ऐसा न हो जाए कि जब हम होश में आएं, तब तक देर हो जाए-----
हम क्या खो रहें हैं......
अनमोल रिश्ते
सुकुन से बैठकर बात करना अब हमें समय की बर्बादी लगती है। हम अपने लागों के मिलकर बात नहीें करते फोन पर या मैंसेज से हाल. चाल का पता कर लेते हैं। वेकेशन पर उनके पास न जाकर किसी रिसाॅट में जाकर समय बिताते हैं । पहले हम सब अपने बच्चों के साथ नाना..नानी के पास ,दादा ..दादी के पास ले कर जाते थे इससे रिश्तों में प्यार पनपता था मिलकर रहने की भवना आती थी ।इससे रिश्तों में निरसता पनपने लगी है ।
(लाइफस्टाइल )जीने का तरीका
आज की दौड़ती जिंदगी के कारण हमारा जीने का तरीका भी बदल गया है ।हम गैजेट्स और तकनीक के आदी हो गए हैं। बिना लैपटाप और मोबाइल केबेंचैनी महसूस होने लगती है।हम अपनी भावनाओ को सोशल साइटस पर व्यक्त करने लगे है। आलस्य बढने लगा है थोडी दूर भी हम पैदल नहीं चलना चाहते है। गाडी का लिफट का इस्तेमाल करने लगे हैं। धर्य की कमी, गुस्सा, चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण बढ गए हैं। तनाव व थकान अधिक होने लगी है।इससे सेहत पर असर होने लगा है। हम मानसिक व व्यावहारिक समस्याओं से भी ग्रस्त होनेे लगे है। नींद पूरी न होना, अनहेलदी खाना, अलकोहल का सेवन हमारी सेहत को खराब कर रहा है।
**** जीवन व रिश्ते अनमोल व अतिसुन्दर होते हैं। कामयाब जि़दगी का चाह और अधिक से अधिक कमाने की लालसा , पैसों का घमंड ,रिश्तों की परवाह न करना इन सब के कारण जीवन सिमट गया है खुशियाॅं सिमट गयी हैं।****
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