Sunday, 13 October 2019

यदि रात न होती



यदि रात न होती तो जीवन क्या होता,
न चांद होता, न उसकी शीतल चांदनी होती,
न नींद होती, न सुहाने सपने होते,
न उपमाएं होती चांद की,
न ही तुलनाएं होती चांद से,
यदि रात न होती तो जीवन क्या होता।।
रात न होती तो तारों की
झिलमिल कहां देख पाते हम,
आंखों का तारा मुहावरा ,
कहां से खोज पाते हम,
रातों की तनहाईयों को
कैसे समझ पाते हम,
यदि रात न होती तो जीवन क्या होता।।
अधंकार व सुबह का अंतर,
कैसे समझ पाते हम,
अंधेरों की गहराई को,
कैसे जान पाते हम,
तो सुहानी सुबह का आनंद,
कैसे उठा पाते हम,
यदि रात न होती तो जीवन क्या होता।।
जीवन को विराम कहां से मिलता,
शरीर को आराम कहां से मिलता।,
बिस्तरों की बिछात न होती,
कामों से फुर्सत न मिलती,
चांद ग्रहण को न  देख पाते हम,
पूर्णिमा का आनंद न उठा पाते हम,
यदि रात न होती तो जीवन क्या होता।।

Meri Nazar se.......




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