Sunday, 6 October 2019

शब्द मां



शब्द  मां
जब पहली बार शब्द मां सुना था मैंने,
तन,मन सुंदर हो उठा ,
एक दिव्य सी आभा चमक उठी, 
चित्त भी हर्षित हो उठा,
सूरज की स्वर्णा आभा ने,
चमका दिया मेरा घर आंगन, 
वायु ने मानों हृदय रूपी
 पंखों को था लहरा दिया ,
जब पहली बार शब्द
 मां सुना था मैंने ।
चांद की शीतल पवन,
 मुझे और भी शीतल लगने लगी ,
सारा वातावरण दमकने लगा था, मेरा रुप मेरा अस्तित्व सब 
संपूर्ण लगने था लगा
 तुम्हारी छवि चारों और थी मेरे, सारा संसार तुम में सिमटने लगा, जब पहली बार शब्द मां सुना था मैंने ।
तब मैंने जाना कि मां क्या होती है ?
इतना त्याग व ममता मां,
 बच्चों पर है रखती
 उसका सुख, खुशी सब में है उसके बच्चे शामिल 
उनके लिए समर्पित करती,
 वह है अपना सर्वस्व 
अपने बच्चों की आंखों से ,
देखती  है वह नवजीवन ,
जब पहली बार शब्द में सुना था मैंने।
Meri Nazar Se.                                   

No comments:

Post a Comment