Sunday, 6 October 2019

मंजिल




मंजिल पर हमनें ध्यान ज़रा सा दिया।
आकाश ने डगर को उजालों से भर दिया।
विश्वास हो खुद के कर्मों पर,
राहें सदा उज्जवल होंगी 
न किसी का सहारा हो,न बंधन हो
न दिखावट हो, न बनावट हो,
केवल कर्मठता, व लग्न हो,
विघ्न बाधाएं तो हो पर,
मन में हिम्मत भी हर पल हो,
मंजिल पर हमने ध्यान ज़रा दिया,
आकाश ने डगर को उजालों से भर दिया।
मदद की आस भी न हो,
पैसे की प्यास भी न हो,
जिम्मेदारियां भी हो,
वहन करने की क्षमता भी हो।
ईश्वर पर विश्वास भी हो
ऐसा हो जीवन मेरा,
मंजिल पर हमने ध्यान ज़रा सा दिया,
आकाश ने डगर को उजालों से भर दिया।
Meri Nazar Se



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