Tuesday, 28 April 2020

बच्चे मन के सच्चे.....

बच्चे मन के सच्चे.....
आज के वातावरण में हमारे छोटे बच्चों की परवरिश पर हमें बहुत ही ध्यान देना चाहिए। उसके लिए हर माता-पिता को कुछ नियम अपने मन में बना लेने चाहिए
सबसे पहले हमें बच्चों के सामने कोई भी अशोभनीय बात कहनी नहीं चाहिए ।
हमें बच्चों के सामने नकारात्मक परिस्थितियां नहीं दिखानी चाहिए।
मन में कितनी भी परेशानियां हो उनके सामने हमेशा अच्छा ही दिखाना चाहिए।
यदि कोई बच्चा किसी बात की जिद करता है तो उसे बिल्कुल भी डांटे नहीं। उसके ध्यान को किसी दूसरी चीजों में लगाइए अगर वह कुछ फैला रहा है अगर वह कुछ चीजें फेंक रहा है तो उस पर सभी लोग उसे गलत नहीं बोलिए। उसको वह बस इतना ही प्यार से कहिए कि यह खराब हो गया ।बस और उसके बाद उस पर डांटना बिल्कुल नहीं चाहिए।
सबसे बड़ी बात है हम सब बड़े अपनी -अपनी उलझनों में उलझे रहते हैं ।बच्चों को हम कहीं ना कहींअनदेखा करते हैं । उसकी बातों को समझने का प्रयास नहीं करते हैं।
हम उस पर उतना ध्यान नहीं देते हैं।
अपने अपने काम करते रहते हैं उसके बाद वह बच्चा अपने हिसाब से काम करता है क्योंकि हमें उसे जितना समय देना चाहिए हम दे नहीं पाते। यह वही समय होता है जब बच्चा अपने अंदर गलत चीजों की आदतों को समाहित करने लगता है ,उलझने लगता है, और वही उसके जीवन में धीरे-धीरे पनपने लगती हैं। इसलिए छोटा बच्चा जो होता है उसको एक मुलायम फूल की भांति पालना पड़ता है। उसे बिल्कुल भी अनदेखा नहीं करना चाहिए ।उसकी हर छोटी सी छोटी चीजों को समझना चाहिए। वह क्या चाहता है और सबसे बड़ी बात है हम उसकी परवरिश जैसे करेंगे वह गुण उसमें पनपने लगेंगे अगर हम समय की पाबंदी के हिसाब से हर काम समय से करेंगे तो, वह भी हर काम समय से करना सीखेगा। यदि हम उसके सामने हमेशा अच्छी बातें करेंगे तो वह अच्छी बातें सीखेगा। यदि हम उसके सामने लड़ाई झगड़ा नहीं करेंगे तो, वह भी उसको नहीं करेगा। बच्चा बहुत ही होशियार होता है कहा जाता है पहले 2 - 3 साल में बच्चे का ब्रेन 90% चीजों को सीखता है इतना तेज होता है । यही समय है 3 या 4 साल तक हम उस बच्चे के सामने जो गुण उसके अंदर समाहित करने की कोशिश करेंगे । वह अवश्य उसके जीवन का हिस्सा बनता चला जाएगा। इसलिए बचपन से ही उसके साथ जो भी बातचीत करते हैं तब हमारा लहजा बहुत ही प्यारा होना चाहिए ।उसके बातचीत करते समय रिस्पेक्ट के साथ बात करनी चाहिए। अगर वह कोई चीज की जिद करता है या गलत काम करता है तो उसके ध्यान को दूसरी तरफ कन्वर्ट कर दीजिए ना कि उसे डांटे , क्योंकि उसको नहीं मालूम कि वह क्या कर रहा है।हम सब बड़ों का कर्तव्य बनता है कि उसको हम किस तरह से सीखा कर बड़ा करना चाहते हैं।घर का माहौल ,घर का वातावरण उस बच्चे को बहुत ही प्रभावित करता है यदि हम चाहते हैं कि वह बहुत अच्छा इंसान बने तो सबसे पहले हमें रोल मॉडल बनना पड़ेगा।
आज के वातावरण में यदि बड़े लोग परेशान हैं तो आप सोचिए छोटे बच्चे घर के अंदर बंद होकर कैसा स्वभाव दिखाएंगे। बच्चों को पालने के लिए आरम्भ के 10 वर्ष अत्यंत ही महत्वपूर्ण होते हैं । उस समय बड़ो का त्याग, धैर्य, सहनशीलता, स्वभाव, परिश्रम, परवरिश ही बच्चों को उत्तम इनसान बना सकता है। बच्चे केवल आपकी धरोहर ही नहीं हैं वे समाज के , देश के निर्माता भी हैं।
मुझे कुछ गीत के बोल याद आ गये---
बच्चे मन के सच्चे, बच्चे मन के सच्चे
सारी जग की आंख के तारे,
यह वो नन्हे फूल है जो,
भगवान को लगते प्यारे,
बच्चे मन के सच्चे।
Meri Nazar Se.....

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