मानवता.......
जब कभी भी मेरा देश दहकता है ,
मन में इक चिंगार दधकता है।।
मेरे देश की हरी -भरी वसुंधरा ,
कहां गुम हो गई है भारतीयता,
कहां छुप गये रहीम वो जिन्होंने ,
कृष्ण में अल्लाह को ही पा लिया।।
जब कभी भी मेरा देश दहकता है ,
मन में इक चिंगार दधकता है।।
वो रसखान जिसने बिन आंखों के ही,
कृष्ण के रूप को निहार लिया,
कबीर ने तो दिया संदेश हर मानव को,
रब तो न काबे में ,न काशी में,
वो तो तेरे पास में,
वो कुरान जो बिना राम के अधूरा है,
वो राम जो बिना रहीम के असहाय है।।
जब कभी भी मेरा देश दहकता है ,
मन में इक चिंगार दधकता है।।
वो सुबह ही क्या जिसमें मस्जिद की अजान न हो,
वो सुबह ही क्या जिसमें मंदिर की घंटियां न हो,
वो गुरु नानक देव जी जिन्होंने,
इक ओंकार से ईश्वर व अल्लाह को,
दिया कर एक सब को ।।
जब कभी भी मेरा देश दहकता है ,
मन में इक चिंगार दधकता है।।
Meri Nazar Se.....
जब कभी भी मेरा देश दहकता है ,
मन में इक चिंगार दधकता है।।
मेरे देश की हरी -भरी वसुंधरा ,
कहां गुम हो गई है भारतीयता,
कहां छुप गये रहीम वो जिन्होंने ,
कृष्ण में अल्लाह को ही पा लिया।।
जब कभी भी मेरा देश दहकता है ,
मन में इक चिंगार दधकता है।।
वो रसखान जिसने बिन आंखों के ही,
कृष्ण के रूप को निहार लिया,
कबीर ने तो दिया संदेश हर मानव को,
रब तो न काबे में ,न काशी में,
वो तो तेरे पास में,
वो कुरान जो बिना राम के अधूरा है,
वो राम जो बिना रहीम के असहाय है।।
जब कभी भी मेरा देश दहकता है ,
मन में इक चिंगार दधकता है।।
वो सुबह ही क्या जिसमें मस्जिद की अजान न हो,
वो सुबह ही क्या जिसमें मंदिर की घंटियां न हो,
वो गुरु नानक देव जी जिन्होंने,
इक ओंकार से ईश्वर व अल्लाह को,
दिया कर एक सब को ।।
जब कभी भी मेरा देश दहकता है ,
मन में इक चिंगार दधकता है।।
Meri Nazar Se.....
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