धैर्य की कमी हम सबमें धैर्य कम हो गया है। हम सभी अपनी इच्छा अनुसार सब कुछ पाना चाहते है। आज समाज में दिखावे के लिए मानव वो सब कुछ करता है जो उसे नहीं करना चाहिए। इस दौड मेंसमाज में अनेक बुराइयों ने जन्म लिया है। जलन, हीनभवना ,बेईमानी आदि अवगुण लेागों में आ जाते हेें। गुणवान व सज्जन व विद्वान व ज्ञानी व सन्यासी यह सारे महापुरूष तभी योग्य माने जाएगें जब इन सब लोगों में धैर्य होगा । कष्ट की स्थिति में तथा दुख की स्थिति में धैर्य रूपी गुण सबसे महान गुण माना जाता है। असहिष्णुता को अपने स्वार्थ के लिए धर्म से नहीं जोडना चाहिए। धर्म तो हमें सहिष्णुता सिखाता है दुसरों के लिए परोपकार करने के लिए सदैव तैयार रहने की भावना मानव में भरता है।
सबको साथ लेकर चलने की भावना मनुष्य के मन में लाता हे। मानव को चाहिए कि वह अपने आप से प्यार करे तथा अपने परिवार से प्यार करे और फिर अपने आस पास के लोगों से स्नेह करे और अपने देश को स्नेह करें और फिर सम्पूण विश्व को अपने स्वार्थ से परे रखे। यह सारे गुण मानव को सहिष्णु बनाते हैं। हम सब असहिष्णुता को तभी रोक पाएगें जब हम सब केवल अपने कर्तव्यों के प्रति वफादार रहेगें और सभी धर्मों के प्रति निष्ठावान और सम्मानपूर्वक रहेगें। अपनी भारतीय संस्कृति,भारतीयता को फिर से पूरी तरह अपनाएगें। यह सारे संस्कार हमें बचपन से ही बच्चों में ही डालने होगें। हमें अपने बच्चों के लिए समय देना होगा उनहें धैर्य वान बनाना होगा परन्तु पहले स्ंवयं उसे अपने जीवन में अपनाना होगा । धैर्यशाली मनुष्य अपनी बोली पर सयंम रखता है। धन को गलत तरीके से कमाने का प्रयास नहीं करता। दान करके जरूरत मन्द लोगों की मदद करता है। क्षमा करता हैैंलेकिन स्वभिमान के साथ अपना जीवन व्यतीत करता हैं। इसलिए सहिष्णु बने खुश रहेंमृत्यु निश्चित है फिर आडंबर क्यों ।
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