Tuesday, 10 September 2019

दोस्ती



दोस्ती
दोस्ती की न कोई परिभाषा ,
न कोई स्वरूप होता है,
न उम्र का तकाजा,न कोई बंधन,
बस कुछ भाव, एहसास,
वह निश्छल प्रेम,
यह शब्द ही अपने में क्यों होता है,
सम्पूर्ण, लाजवाब, सुन्दरता लिए हुए,
दोस्ती की न कोई परिभाषा,
न कोई स्वरूप होता है।
बस उसके दुख को कैसे हरूं
बस उसके साथ मैं खड़ी रहूं,
न लालसा कुछ पाने की हो,
न इच्छा एहसान दिखाने की हो,
उसका सुख ,उसकी खुशी,
अपना सुख,अपनी खुशी,
न अन्तर हो इस अन्तर्मन मन में,
तुम भी मैं, मैं भी तुम,
ये भेद न हो मन में,
तो मानो ये जीवन आंनद का
सागर है,ये ही दोस्ती की पराकाष्ठा है
दोस्ती की न कोई परिभाषा है,
न कोई स्वरूप होता है।
Meri Nazar Se...     

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